8th Pay Commission में पेंशनभोगियों की अनदेखी? जानिए क्या कहता है नया नोटिफिकेशन
8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) के नोटिफिकेशन से पेंशनभोगियों में चिंता बढ़ी है। Terms of Reference में पेंशन संरचना के पुनरीक्षण का जिक्र नहीं जिससे 69 लाख पेंशनरों पर असर पड़ सकता है। आइये जानते है डिटेल में -
- पेंशन समीक्षा पर संशय
- 69 लाख पेंशनरों की चिंता
- सरकार के सामने खर्च की चुनौती
- संभावित बदलाव
- संगठनों की भूमिका
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच 8वें वेतन आयोग की चर्चा अब सैलरी बढ़ोतरी से आगे निकल चुकी है। वजह यह कि आयोग के दस्तावेज़ में इस बार “पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों की समीक्षा” जैसी लाइन नदारद है, जो 7वें वेतन आयोग में साफ तौर पर शामिल थी। इसका मतलब है कि करीब 69 लाख से अधिक पेंशनभोगी इस बार वेतन समीक्षा के दायरे से बाहर रह सकते हैं।
क्या बदल गया 7वें और 8वें आयोग का दायरा
7वें आयोग के नोटिफिकेशन में पेंशन की संरचना, ग्रेच्युटी और अन्य रिटायरमेंट बेनिफिट्स की समीक्षा करने की बात थी, जबकि 8वें आयोग में फोकस वेतन, भत्ते, NPS और ग्रेच्युटी पर तो है लेकिन पेंशन पुनरीक्षण का जिक्र नहीं है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह आयोग केवल सक्रिय कर्मचारियों तक सीमित रह जाएगा?
वित्तीय असर और सरकार की जिम्मेदारी
7वां वेतन आयोग लागू होने के बाद सरकार पर पहले ही साल करीब ₹1 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ा था। अब जब नई वेतन और भत्ते संरचना पर विचार चल रहा है तो वित्तीय स्थिरता सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है। ऐसे में फिटमेंट फैक्टर बढ़ाना और पेंशन सुधार शामिल करना सरकार के खर्चे पर सीधा असर डालेगा।
पेंशनरों की उम्मीदें और संभावित बदलाव
अगर आयोग में संशोधन हुए तो इनमें नया बेसिक पे, महंगाई भत्ता (DA) पुनर्गठन, भत्तों जैसे HRA और TA में बदलाव, और न्यूनतम पेंशन में बूस्ट जैसे कदम देखे जा सकते हैं। मगर अगर पेंशनभोगियों को आयोग के दायरे में शामिल नहीं किया गया तो ये लाभ सिर्फ नौकरी में कार्यरत कर्मचारियों तक सीमित रह जाएंगे।
कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए ज़रूरी कदम
- 8वें आयोग की अधिसूचना और ToR (Terms of Reference) को ध्यान से पढ़ें।
- कर्मचारी संघ या पेंशन संगठन से जुड़कर अपनी मांगें रखें।
- पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों से जुड़े दस्तावेज़ सुरक्षित रखें।
- सोशल मीडिया और न्यूज़ सोर्स से अपडेट रहें ताकि आपकी हिस्सेदारी छूट न जाए।
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