पाकिस्तान के हाथ से फिसला अफगानिस्तान! ईरान बना सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर
अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा तनाव के चलते अफगानिस्तान ने ईरान और चाबहार पोर्ट के रास्ते अपना व्यापार बढ़ा लिया है। छह महीनों में ईरान के साथ व्यापार 1.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पाकिस्तान की तुलना में अधिक है।
- सीमा तनाव से अफगानिस्तान-पाकिस्तान ट्रेड में आई भारी गिरावट।
- अफगानिस्तान ने ईरान और चाबहार के रास्ते व्यापार बढ़ाया।
- चाबहार पोर्ट से व्यापारियों को मिली सुविधा और आत्मविश्वास।
- ट्रांसपोर्ट बंद होने से फल-सब्जी व्यापारियों को खास नुकसान।
- तालिबान सरकार का रुख अब वैकल्पिक ट्रांजिट रूट्स की ओर।
International News: पाकिस्तान के साथ सीमा पर चल रहा तनाव अब अफगानिस्तान की जेब पर भारी पड़ने लगा था लेकिन तालिबान सरकार ने चालाकी दिखाई और एक झटके में अपनी व्यापारिक दिशा बदल दी। अब काबुल का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर पाकिस्तान नहीं बल्कि ईरान बन गया है। यह बदलाव इतनी तेजी से हुआ कि हर कोई हैरान है।
अफगानिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल सलाम जवाद अखुंदजादा ने रॉयटर्स को बताया कि पिछले छह महीनों में ईरान के साथ द्विपक्षीय व्यापार 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है जबकि इसी अवधि में पाकिस्तान के साथ व्यापार सिर्फ 1.1 अरब डॉलर ही रह गया। यानी पाकिस्तान को पीछे छोड़ते हुए ईरान अब अफगानिस्तान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है।
चाबहार पोर्ट बना गेम-चेंजर, व्यापारियों का भरोसा लौटा
अखुंदजादा ने साफ कहा, “चाबहार बंदरगाह ने हमारी सबसे बड़ी मुश्किल हल कर दी।” भारत द्वारा विकसित इस दक्षिण-पूर्वी ईरानी पोर्ट से अब अफगान माल आसानी से भारत, मध्य एशिया और आगे तक पहुंच रहा है। व्यापारी बताते हैं कि पहले पाकिस्तान सीमा पर कोई भी छोटा-मोटा बैन लगता था तो सामान हफ्तों खराब होता रहता था लेकिन अब चाबहार रूट की वजह से डिलीवरी टाइम पर हो रही है और व्यापारियों का कॉन्फिडेंस वापस आ गया है।
पाक रूट बंद होने से रोज़ाना 10 करोड़ रुपये का नुकसान!
अफगानिस्तान-पाकिस्तान ज्वाइंट चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष खान जान अलोकोजई ने ‘पाहज्वोक अफगान न्यूज’ को बताया कि दोनों तरफ के व्यापारियों को सीमा बंद होने से हर रोज करीब 1 मिलियन डॉलर यानी लगभग 8.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। पहले रोजाना 2000 ट्रक आते-जाते थे लेकिन पिछले कई हफ्तों से मुख्य मार्ग बंद पड़े हैं। सबसे ज्यादा मार फल-सब्जी और ड्राई फ्रूट्स के व्यापारियों पर पड़ी है। अफगानिस्तान के मशहूर पिस्ता, बादाम, किशमिश, खुबानी और अखरोट का एक्सपोर्ट ठप होने की कगार पर था लेकिन चाबहार और मध्य एशियाई रूट्स ने राहत दी।
पिछले महीने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने खुलकर कहा था, “चाबहार पोर्ट हमारे लिए शानदार ट्रेड रूट साबित हो रहा है।” उन्होंने माना कि इस पोर्ट ने काबुल को इतनी ताकत दी है कि अब वह वैकल्पिक रास्तों पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने की मुहिम तेज
स्थानीय अफगान मीडिया, खासकर अरियाना न्यूज और पाहज्वोक ने लगातार इस बात को प्रमुखता से उठाया है कि तालिबान सरकार अब हर कीमत पर पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता खत्म करना चाहती है। इसके लिए ईरान के अलावा तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के साथ भी नए ट्रेड कॉरिडोर खोलने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं।
जानकारों का कहना है कि जब तक इस्लामाबाद और काबुल के बीच राजनीतिक तनाव बना रहेगा, अफगानिस्तान का व्यापारिक पलड़ा पाकिस्तान से दूर ही होता जाएगा। और इस खेल में सबसे बड़ा फायदा भारत के चाबहार प्रोजेक्ट को मिलता दिख रहा है। फिलहाल तो यही लग रहा है – पाकिस्तान ने सीमा बंद की, अफगानिस्तान ने नया दरवाजा खोल लिया!
About The Author
विराट भारत एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार मंच है जो भारत के हर कोने से लेकर दुनिया भर तक की सटीक, ताज़ा और भरोसेमंद खबरें आम भाषा में आप तक पहुँचाता है। हमारा मकसद सि़र्फ़ खबर देना नहीं, बल्कि सच को सरलता से समझाना और समाज में जागरूकता लाना है।
.png)