अमेरिका ने कोलंबिया की स्वीडन वाली फाइटर जेट डील में लगा दी रोक, भारत के तेजस पर भी लटकी तलवार!

अमेरिका ने कोलंबिया की स्वीडन वाली फाइटर जेट डील में लगा दी रोक, भारत के तेजस पर भी लटकी तलवार!

कोलंबिया के ग्रिपेन फाइटर जेट विवाद ने अमेरिका और भारत के बीच डिफेंस निर्भरता पर सवाल उठा दिए हैं। तेजस का इंजन भी अमेरिकी कंपनी का होने से भारत सतर्क हो गया है क्योंकि अगर भारत भी अपने ये फाइटर जेट दूसरे देशों को बेचता है तो अमेरिका भारत का भी लाइसेंस कैंसिल कर सकता है। जानिए पूरी खबर -

बोगोटा/नई दिल्ली: कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो और अमेरिका के बीच इन दिनों तीखी नोंक-झोंक चल रही है। वजह है स्वीडन का जेएएस-39 ग्रिपेन ई/एफ फाइटर जेट। कोलंबिया ने अमेरिकी एफ-16 को ठुकराकर स्वीडन का ग्रिपेन चुन लिया था लेकिन अमेरिका ने एक झटके में पूरी डील पर ब्रेक लगा दिया। अब कोलंबिया न घर का रहा न घाट का – न पुराने जेट काम के, न नया जेट मिल रहा। और सबसे बड़ी बात, इस झगड़े ने भारत के स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान की विदेशी बिक्री पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। आइये डिटेल में जानते है की क्या कहानी चल रही है और इससे भारत के तेजस पर क्या असर होने वाला है। 

कोलंबिया की पुरानी एयरफोर्स को बदलाव की जरुरत 

आपको बता दें की कोलंबिया की वायुसेना अभी 1970 के दशक के पुराने इजरायली केफिर जेट उड़ा रही है। ये जेट अब आधुनिक जंग के लायक नहीं रहे। इसलिए राष्ट्रपति पेत्रो ने नई पीढ़ी के फाइटर जेट खरीदने का फैसला किया। पहले अमेरिका से एफ-16 की बात चल रही थी, लेकिन कीमत और शर्तें ज्यादा लगीं। फिर कोलंबिया की नजर पड़ी स्वीडन के ग्रिपेन ई/एफ पर। ये 4.5 जनरेशन का जेट है, रखरखाव सस्ता है और परफॉर्मेंस भी बेहतरीन। बस कोलंबिया ने स्वीडन को हां कह दी। लेकिन अमेरिका को ये बात चुभ गई। 

America has put a halt on Colombia's fighter jet deal with Sweden, India's Tejas is also in danger!
अमेरिका ने कोलंबिया की स्वीडन वाली फाइटर जेट डील में लगा दी रोक, भारत के तेजस पर भी लटकी तलवार!

अमेरिका को चुभा ठुकराया गया ऑफर

अमेरिका को ये बात खटकी कि उसका पुराना ग्राहक उसका जेट छोड़कर किसी और का ले रहा है। ऊपर से ग्रिपेन में लगा जीई एफ414 इंजन भी अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक का ही है। अमेरिका ने साफ कह दिया – बिना हमारी इजाजत स्वीडन कोलंबिया को जेट नहीं बेच सकता और अगर वो ऐसा करता है तो अमेरिका उसको जारी किया गया इंजन का निर्यात लाइसेंस रद्द कर देंगे। स्वीडन के हाथ बंध गए। डील अटक गई।

पेत्रो ने अमेरिका को खुलेआम ललकारा

कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने चुप रहने की बजाय पिछले हफ्ते एक्स (ट्विटर) पर अमेरिका पर सीधा हमला बोल दिया। उन्होंने लिखा, “अमेरिका हमें धमका रहा है कि अगर हम ग्रिपेन खरीदेंगे तो इंजन नहीं देगा। ये हमारी संप्रभुता पर हमला है।” पेत्रो ने तो यहां तक कह दिया कि अब वो फ्रांस के राफेल जेट की तरफ भी देख रहे हैं। खैर अब इसका असर भारत पर कैसे होने वाला है ये आपको बताते है। 

भारत के तेजस पर भी बजी खतरे की घंटी 

आपको बता दें की ये जो भी घटना घाटी है इस पूरे मामले ने भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। हमारे स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क-1ए में भी अमेरिकी जीई एफ404 इंजन लगा है। तेजस मार्क-2 और आने वाले एएमसीए में भी जीई एफ414 इंजन ही लगने वाला है। मतलब साफ है – अगर भारत बिना अमेरिका की मर्जी के किसी देश को तेजस बेचने की कोशिश करेगा तो अमेरिका एक झटके में इंजन सप्लाई रोक सकता है। और अमेरिका एक गिरगिट है और कभी भी रंग बदल सकता है ये तो आप सभी अच्छे से जानते है। 

अर्जेंटीना, फिलीपींस, मिस्र, मलेशिया जैसे कई देश तेजस में दिलचस्पी दिखा चुके हैं लेकिन अमेरिकी इंजन की वजह से भारत हाथ बांधे बैठा है। यही कारण है कि तेजस मार्क-2 और पांचवीं पीढ़ी के एएमसीए के लिए भारत अब फ्रांस की कंपनी साफ्रान के साथ 110 केएन थ्रस्ट वाला नया इंजन बनाने की डील फाइनल करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक साफ्रान ने तकनीक ट्रांसफर की सभी शर्तें मान ली हैं ताकि भविष्य में कोई विदेशी दबाव न रहे। 

अब आगे क्या होगा?

कोलंबिया अभी भी ग्रिपेन की उम्मीद नहीं छोड़ रहा लेकिन स्वीडन ने साफ कह दिया है कि अमेरिकी इंजन के बिना डील मुमकिन नहीं। दूसरी तरफ भारत ने सबक ले लिया है – स्वदेशी जेट हो या इंजन, विदेशी निर्भरता जितनी कम, उतना भारत के लिए अच्छा। फिलहाल कोलंबिया की वायुसेना पुराने जेट उड़ा रही है और भारत चुपचाप अपना नया इंजन प्रोजेक्ट तेज कर रहा है। अमेरिका एक बार फिर दुनिया को बता रहा है – हथियारों का बाजार उसका है तो फैसला भी उसका ही चलेगा। आगे क्या होता है ये देखने वाली बात होगी। 

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