दिल्ली की हवा फिर खराब! हरियाणा में पराली जलाने का आंकड़ा 563 पहुंचा, एक दिन में 47 केस, 10 पुलिसकर्मी सस्पेंड
हरियाणा में रविवार को पराली जलाने के 47 नए मामले दर्ज हुए जिनमें सबसे ज्यादा घटनाएं जींद जिले से आईं। लापरवाही पर जींद पुलिस के 10 कर्मियों को निलंबित किया गया जबकि 3 किसानों पर मामला दर्ज हुआ।
- हरियाणा में एक दिन में 47 नए पराली जलाने के मामले दर्ज।
- जींद में 10 पुलिसकर्मी निलंबित और 3 किसानों पर FIR।
- पूरे प्रदेश में अब तक 563 केस सामने आए।
- दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में 50% तक वृद्धि।
- वैज्ञानिक और सरकार पराली को खाद में बदलने की सलाह दे रहे हैं।
Haryana News: हरियाणा सरकार की सख्त चेतावनियों के बावजूद रविवार को पराली जलाने के 47 नए मामले सामने आए हैं। यह इस सीजन का अब तक का सबसे बड़ा एक-दिवसीय आंकड़ा है। इनमें सबसे ज्यादा 15 घटनाएं जींद जिले में दर्ज की गईं जहां प्रशासन ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए 10 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
जींद के पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह ने बताया कि पराली जलाने पर रोकथाम में लापरवाही और निगरानी की कमी के चलते यह कदम उठाना पड़ा। निलंबन की कार्रवाई उचाना, नरवाना, गढ़ी और नगूरां चौकी से जुड़े पुलिसकर्मियों पर हुई है। वहीं तीन किसानों के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है।
प्रदेश में पराली जलाने के कुल मामले 563 तक पहुंचे
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, पूरे हरियाणा में अब तक 563 पराली जलाने के केस सामने आए हैं। रविवार को रोहतक में 8 मामले दर्ज किये गए है तो वहीं सोनीपत में 7 मामले, हिसार में 6 मामले, फतेहाबाद और सिरसा में 4-4 मामले और भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर में 1-1 मामला दर्ज किया गया।
अब तक के जिलावार आंकड़े
| जिला | कुल मामले |
|---|---|
| जींद | 167 |
| फतेहाबाद | 82 |
| हिसार | 63 |
| कैथल | 56 |
| सोनीपत | 51 |
| रोहतक | 36 |
| सिरसा | 30 |
पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण
हर साल की तरह इस बार भी पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई है। नवंबर की शुरुआत में ही राजधानी का AQI 900+ पहुंच गया था। इस स्कोर का मतलब है – हवा सांस लेने लायक नहीं बची। पराली जलाने से PM2.5, PM10, कार्बन मोनोऑक्साइड, डाइऑक्सिन जैसे हानिकारक तत्व निकलते हैं जो फेफड़ों को सीधा नुकसान पहुंचाते हैं। इससे कैंसर, दमा और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
खेती को पहुंचता है भारी नुकसान
पराली जलाने से मिट्टी का जैविक पदार्थ जलकर खत्म हो जाता है। इसके साथ ही जमीन में खेती के लिए लाभकारी जितने भी कीड़े-मकौड़े और जीवाणु होते है वो सब ख़त्म हो जाते है। आपके खेत की मिट्टी की उर्वरता 20-25% तक घट जाती है और किसान को अगले साल अधिक यूरिया डालनी पड़ती है जिससे खर्च बढ़ता है। कुल मिलाकर आपका खेत कुछ साल में धीरे-धीरे बंजर बनने लगते हैं।
इसका समाधान क्या है?
सरकार और कृषि वैज्ञानिक लगातार जागरूकता फैला रहे हैं कि पराली जलाना रोकने के कई उपाय मौजूद हैं। हैप्पी सीडर और सुपर सीडर मशीन से पराली बिना जलाए अगली फसल में मिलाई जा सकती है। PUSA Bio-Decomposer Spray, जिसकी कीमत केवल ₹4 प्रति लीटर है पराली को 20-25 दिन में खाद में बदल देता है। इसके अलावा पराली से बायो-गैस, बिजली या कागज बनाया जा सकता है।
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हरियाणा की खबरों की ‘मास्टरकी’ सलोनी यादव | 8 साल से जमीनी हकीकत को बेबाकी से आपके सामने ला रही हूँ। न खौफ, न खफा… बस सच, तथ्य और थोड़ा सा हरियाणवी तड़का! जो दिखता है वो बताती हूँ, जो छुपाया जाता है वो खोज निकालती हूँ। हरियाणा की धड़कन से सीधी कनेक्टेड पत्रकार।
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