हरियाणा में BPL राशन कार्ड वाले हजारों परिवारों को झटका! एक महीने में ही लिस्ट से बाहर हुए लाखों नाम
Haryana News: हरियाणा में गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आने वाले परिवारों के लिए राशन कार्ड अब पहले जैसा आसान नहीं रह गया। सरकार ने सख्ती दिखाते हुए नई गाइडलाइन जारी की है जिसके चलते पिछले एक महीने में ही हजारों परिवारों के नाम BPL लिस्ट से काट दिए गए हैं। सबसे ज्यादा मार भिवानी, हिसार और सिरसा जिले के लोगों को पड़ी है जहां लोग अब खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
नई नियमावली के मुताबिक अगर कोई BPL परिवार लगातार छह महीने तक डिपो से अपना राशन नहीं उठाता तो उसका नाम अपने आप बीपीएल सूची से हटा दिया जाएगा। इसी तरह अगर किसी परिवार का सालाना बिजली बिल 24 हजार रुपये से ज्यादा हो जाता है तो भी उसे गरीब की श्रेणी से बाहर कर दिया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो परिवहन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग और मानव सूचना एवं संसाधन मुख्यालय (Parivar Pehchan Authority) ने मिलकर ये नया फरमान जारी किया है। अक्टूबर तक जिन परिवारों के पास वैध BPL राशन कार्ड था, नवंबर आते-आते उनमें से हजारों की संख्या में नाम गायब हो गए।
नई व्यवस्था में एक और सख्त नियम जोड़ा गया है। अगर परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाती है और घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा, तो भी परिवार को एक महीने के अंदर अपनी परिवार पहचान पत्र (PPP) अपडेट करानी होगी। अगर ऐसा नहीं किया तो सिस्टम अपने आप परिवार की सालाना आय 1.80 लाख से 3 लाख रुपये के बीच दिखाने लगेगा, जिससे वो BPL की पात्रता ही खो बैठेगा।
शहर में 100 गज से ज्यादा प्लॉट या गांव में 200 गज से ज्यादा जमीन होने पर भी अब BPL कार्ड नहीं बनेगा। विभाग का कहना है कि ऐसे परिवार अब गरीबी रेखा से ऊपर आ चुके हैं इसलिए उन्हें सब्सिडी वाला राशन देने का कोई मतलब नहीं। एक महीने में सबसे ज्यादा कटौती जिन जिलों में हुई है उनमे हिसार जहां 13,469 परिवार, सिरसा जिसमे 10,825 परिवार और भिवानी शामिल है जिसमे 10,388 परिवार लिस्ट से बाहर हो चुके है।
इनके अलावा भी कई जिलों में हजारों नाम कटे हैं। प्रभावित परिवारों का कहना है कि कई बार तो राशन डिपो पर सामान ही नहीं आता, फिर भी उन पर 6 महीने राशन न उठाने का इल्ज़ाम लगा दिया जाता है। जिन परिवारों का नाम कट गया है वो अब PPP पोर्टल पर जाकर अपनी आय और संपत्ति का नया सत्यापन करवा सकते हैं। अगर सचमुच उनकी स्थिति BPL की है तो दोबारा नाम जुड़ सकता है लेकिन इसके लिए दफ्तरों के अनगिनत चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में तो लोग परेशान हैं कि बार-बार शहर आना-जाना मुश्किल हो रहा है।
सरकार का तर्क है कि ये कवायद फर्जी और अपात्र लोगों को हटाने के लिए की जा रही है ताकि असली गरीब तक पूरा लाभ पहुंचे। लेकिन सवाल ये भी उठ रहा है कि कहीं ये सख्ती असली हकदारों को ही राशन से वंचित न कर दे? फिलहाल प्रभावित परिवारों की भीड़ विभागीय दफ्तरों के बाहर बढ़ती जा रही है और आने वाले दिनों में ये मामला और तूल पकड़ सकता है।
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