हरियाणा के रेवाड़ी में बनेगा सबसे बड़ा स्काडा आधारित मिल्क प्लांट, हजारों को मिलेगा रोजगार
हरियाणा सरकार रेवाड़ी के बावल में प्रदेश का सबसे बड़ा स्काडा तकनीक आधारित मिल्क प्लांट बनाने जा रही है। इस प्रोजेक्ट से हजारों किसानों और युवाओं को मिलेगा रोजगार, साथ ही दिल्ली-एनसीआर में दूध की सप्लाई भी और सुगम होगी।
- रेवाड़ी के बावल में राज्य का सातवां और सबसे बड़ा मिल्क प्लांट बनेगा।
- परियोजना पर लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
- प्लांट से 1200-1600 युवाओं को रोजगार मिलेगा।
- 7-8 हजार किसानों को दूध बेचने के लिए नया प्लेटफार्म मिलेगा।
- स्काडा तकनीक से उत्पादन प्रक्रिया होगी ऑटोमेटेड और सुरक्षित।
Rewari News: हरियाणा में दूध का कारोबार अब नई ऊंचाइयों को छूने वाला है। दिल्ली-एनसीआर की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार अब बावल में राज्य का सातवां और सबसे बड़ा मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट लगाने जा रही है। खास बात ये है कि ये प्लांट पूरी तरह स्काडा तकनीक पर चलेगा यानी सब कुछ ऑटोमैटिक, सुरक्षित और सुपर फास्ट!
300 करोड़ की मेगा परियोजना, 16 एकड़ में फैलेगा प्लांट
सूत्रों के मुताबिक रेवाड़ी जिले के बावल में 16 एकड़ जमीन पहले ही चिन्हित कर ली गई है। हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट कोऑपरेटिव फेडरेशन ने सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा के जरिए मुख्यमंत्री को पूरा प्रस्ताव भेज दिया है। बजट मंजूर होते ही काम शुरू हो जाएगा। अनुमान है कि इस परियोजना पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
दिल्ली-एनसीआर को मिलेगा ताजा दूध
फिलहाल दिल्ली और एनसीआर की सारी सप्लाई बल्लभगढ़ प्लांट से हो रही है। बावल में नया प्लांट लगने से दूध पहुंचाने में लगने वाला समय और खर्चा दोनों कम हो जाएगा। फेडरेशन के चेयरमैन डॉ. रामअवतार गर्ग ने बताया, “ये प्लांट बनते ही हमारी सप्लाई चेन और मजबूत हो जाएगी। साथ ही दूसरे जिलों से भी अतिरिक्त दूध यहां लाकर प्रोसेस किया जा सकेगा।”
1200 से 1600 नौजवानो को सीधा रोजगार
सबसे बड़ी खुशखबरी तो रोजगार की है। प्लांट शुरू होने के बाद 1200 से 1600 युवाओं को सीधे नौकरी मिलने का अनुमान है। आसपास के 25-30 किमी दायरे में रहने वाले 7 से 8 हजार दूध उत्पादक किसानों को भी अपने दूध का बेहतर दाम और बड़ा बाजार मिलेगा। यानी किसान भी खुश, नौजवान भी खुश!
स्काडा तकनीक से चलेगा पूरा प्लांट
ये प्लांट पुराने प्लांटों से बिलकुल अलग होगा। पूरी प्रोसेसिंग स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) सिस्टम पर होगी। मतलब मैनुअल काम न के बराबर, हर चीज कंप्यूटर की निगरानी में। क्वालिटी भी टॉप क्लास और प्रोडक्शन भी तेज। हरियाणा में डेयरी सेक्टर की नींव 1970 में पड़ी जब जींद में पहला प्लांट लगा था। इसके बाद अंबाला (1973), रोहतक (1976), बल्लभगढ़ (1979), सिरसा (1996) और फिर कुछ छोटे-बड़े प्लांट बने। अब बावल का ये सातवां प्लांट सबसे आधुनिक और सबसे बड़ी क्षमता वाला होगा।
राज्य सरकार का दावा है कि ये कदम न सिर्फ हरियाणा के डेयरी सेक्टर को बूस्ट देगा बल्कि दिल्ली-एनसीआर में दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स की कमी को हमेशा के लिए दूर कर देगा। अब देखना ये है कि बजट कब पास होता है और बावल में बुलडोजर कब दौड़ते हैं!
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