Rewari News: बच्चे की आस में टूटा सपना: प्रेमी जोड़े ने दी जान, सुसाइड नोट में लिखी आखिरी ख्वाहिश – एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार
रेवाड़ी (धारूहेड़ा), 17 नवंबर: प्यार तो बहुत किया, शादी भी की, नई जिंदगी शुरू करने दूसरे राज्य में बस गए, लेकिन संतान की कमी ने दोनों को इतना तोड़ दिया कि जिंदगी ही खत्म कर दी। धारूहेड़ा की संतोष कॉलोनी में रहने वाले युवा दंपति ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले छोड़े सुसाइड नोट में उन्होंने साफ लिखा था – “हम अपनी मर्जी से जा रहे हैं, किसी को तंग न करें और हमारी आखिरी इच्छा पूरी करें – एक ही चिता पर हमें विदा किया जाए।”
परिजनों ने उनकी इस अंतिम ख्वाहिश को पूरा किया। सोमवार को गांव के श्मशान घाट पर एक ही चिता सजाई गई और दोनों को एक साथ अग्नि दी गई। चिता की लपटें उठीं तो आसपास खड़े लोगों की आंखें नम हो गईं।
पांच साल पहले हुआ था प्रेम विवाह
आपको बता दें कि मृतक युवक राजकुमार (25) मध्य प्रदेश के सागर जिले का रहने वाला था। पांच साल पहले उसकी प्रेम शादी हाली (22) से हुई थी। शादी के बाद दोनों बेरोजगारी से परेशान होकर मध्य प्रदेश छोड़कर हरियाणा आ गए और धारूहेड़ा की संतोष कॉलोनी में किराए का मकान लेकर रहने लगे।
कुछ महीने पहले राजकुमार को गुरुग्राम की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई थी। बाहर से सब ठीक लग रहा था, लेकिन अंदर से दोनों टूट चुके थे। पांच साल बीत जाने के बाद भी गोद सूनी थी। लोग ताने मारते, रिश्तेदार सवाल करते – यही बात दोनों को खाए जा रही थी।
सुसाइड नोट में सिर्फ इतना लिखा...
रविवार देर रात जब पड़ोसी ने दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं आया। पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची धारूहेड़ा थाना पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो कमरे में दोनों के शव पंखे से लटके मिले।
पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ जिसमें साफ-साफ लिखा था:
- - हम अपनी मर्जी से दुनिया छोड़ रहे हैं
- - किसी को जिम्मेदार न ठहराया जाए
- - हमारी लाशें अलग-अलग न जलाएं, एक ही चिता पर हमें अग्नि दें
घटना स्थल से जो सुसाइड नोट मिला था उस नोट में बच्चे न होने की पीड़ा का जिक्र तो था लेकिन और कोई वजह नहीं बताई गई। पुलिस का कहना है कि अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है ओर उसके बाद ही कुछ और साफ हो पाएगा।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
जब सागर से परिजन पहुंचे तो घर में कोहराम मच गया। मां बार-बार बेहोश हो रही थीं। पिता कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। बेटे-बहू की आखिरी इच्छा सुनकर सबने कहा – “जो ये चाहते थे वो तो कर दो।” इसी वजह से एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
धारूहेड़ा में यह पहली बार नहीं है जब संतान न होने की वजह से कोई इतना बड़ा कदम उठा ले। डॉक्टर और मनोचिकित्सक बार-बार कहते हैं कि बच्चा न होना कोई जिंदगी खत्म करने की वजह नहीं। आजकल इलाज उपलब्ध है ओर इसके अलावा सरोगेसी का भी विकल्प है लेकिन दबाव में लोग गलत रास्ता चुन लेते हैं।
पुलिस अब मामले की जांच कर रही है। फिलहाल किसी पर कोई केस दर्ज नहीं हुआ है क्योंकि सुसाइड नोट में साफ लिखा है कि किसी को जिम्मेदार न ठहराया जाए। अगर आप या आपका कोई अपना ऐसे डिप्रेशन से गुजर रहा है तो तुरंत मदद लें। हेल्पलाइन नंबर – 104 या 011-40769002 पर कॉल करें। जिंदगी अनमोल है, इसे यूँ बर्बाद न करें।
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हरियाणा की खबरों की ‘मास्टरकी’ सलोनी यादव | 8 साल से जमीनी हकीकत को बेबाकी से आपके सामने ला रही हूँ। न खौफ, न खफा… बस सच, तथ्य और थोड़ा सा हरियाणवी तड़का! जो दिखता है वो बताती हूँ, जो छुपाया जाता है वो खोज निकालती हूँ। हरियाणा की धड़कन से सीधी कनेक्टेड पत्रकार।
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